शिवरात्रि के व्रत करने के क्या लाभ हैं
Maha Shivratri Vrat 2020: महाशिवरात्रि व्रत से मिलता है यह लाभ, भूख लगे तो क्या करें..
Maha Shivratri Vrat 2020 महाशिवरात्रि व्रत अध्यात्म से जुड़े लोगों के लिए अलग-अलग मायने रखता है। यह व्रत सांसारिक सुख-भोग की महत्वाकांक्षा रखने वाले और गृहस्थ जीवन बिताने वाले सभी के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। गृहस्थ आश्रम के लोग महाशिवरात्रि के व्रत को भगवान शिव और माता पार्वती की वैवाहिक वर्षगांठ के रूप में मनाते हैं। वहीं सिद्ध साधना करने वाले इसे शत्रु पर जीत के रूप में देखते हैं। संतों और नागाओं के लिए शिवजी प्रथम गुरु और आदि गुरु हैं। महाशिवरात्रि का व्रत शिवभक्त अपने-अपने तरीके से रखते हैं। आइए जानते हैं व्रत के लाभ और व्रत के आहार जुड़ी ये बातें…
1कुंवारी कन्याओं के लिए व्रत के लाभ
इस व्रत को सभी नर-नारी रख सकते हैं। कहा जाता है कि भोलनाथ जैसे वर की चाह में कुंवारी कन्याएं व्रत रखती हैं। माना जाता है कि उन्हें बहुत अच्छा वर मिलता है। सुहागिन स्त्रियां भी शिवरात्रि के दिन व्रत रखती हैं। ऐसा करने से उनके पति का जीवन और स्वास्थ्य हमेशा अच्छा बना रहता है।
2नरक से मुक्ति
मान्यता है कि जो भी जातक महाशिवरात्रि का व्रत रखते हैं उन्हें नरक से मुक्ति मिलती है और आत्मा की शुद्धि होती है। इस दिन जहां- जहां भी शिवलिंग स्थापित है, उस स्थान पर भगवान शिव का स्वयं आगमन होता है। इसलिए शिव की पूजा के साथ शिवलिंग की भी विशेष आराधना करने की परंपरा है। शिव अपने भक्तों को सच्चे दिल से आशीर्वाद देते हैं। महाशिवरात्रि पर व्रत रखने से व्यवसाय में वृद्धि और नौकरी में तरक्की मिलती है।
महाशिवरात्रि के व्रत में भी सात्विक भोजन खाना चाहिए। अगर स्वास्थ्य संबंधी समस्या न हो तो बिना नमक के भी यह व्रत किया जा सकता है। वरना सेंधा नमक का सेवन किया जा सकता है। इसलिए इसका प्रयोग कर सकते हैं। इस व्रत में काली मिर्च का प्रयोग कर सकते हैं। इस व्रत में मीठा भी खा सकते हैं। किसी फल की खीर जैसे गाजर या लौकी की
भगवान शिव को भांग अतिप्रिय है, इसलिए कुछ लोग ठंडाई में भांग मिलाकर पीते हैं। बिना भांग के भी व्रत में ठंडाई पी जा सकती है दूध से बनी ठंडाई में कैल्शियम और प्रोटीन मिलता है। यह पेट के लिए भी अच्छी होती है। इसके सेवन से व्रत के दौरान खाए गए तले भुने भोजन से हानि भी नहीं होती है। शरीर में ब्लड शुगर लेवल सामान्य रहता है।
शिव भगवान भी किसी अन्य भगवान की समाधि में समाधि स्ट रहते हैं उस भगवान की भक्ति करने से मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य मैं सफलता मिलती है आवागमन से मुक्ति मिलती है असली मोक्ष का मार्ग पूर्ण परमात्मा की भक्ति से ही संभव है पवित्र गीता जी मैं तीरथ व्रत करना आदि को मना किया है परमात्मा की भक्ति गीता जी में वर्णित विधि से करने से मोक्ष संभव है पवित्र गीता जी में लिखा है की हे अर्जुन अगर तुझे सारस्वत स्थान पर जाना है तो तत्वदर्शी संत की खोज कर फिर उसकी शरण ग्रहण करके निष्काम भाव से उनकी सेवा कर फिर वह तुझे गुप्त मंत्र बताएंगे गीता जी में तीन मंत्र का जाप और तीन विधि से स्मरण करना लिखा हुआ है ॐ तत् सत् इती निर्देश
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